Last modified on 13 जुलाई 2013, at 13:53

कौन बनेगा करोड़पति / संजय कुंदन

परीकथाओं की जरूरत हर दौर में रही है
हम सब ने ऐसे किस्से जरूर सुने कि
एक गरीब लकड़हारे को अचानक कहीं जंगल में मिल गया
सोने से भरा एक घड़ा
कि एक मछुआरे ने राजकुमार की जान बचाई और
युवराज ने भर दी उसकी झोली कीमती मोतियों से
कि एक चरवाहे ने जीत लिया निःसंतान राजा का दिल
और बन गया उनका वारिस

रंक के राजा बनने का चमत्कार
कई बार अन्न और औषधियों से ज्यादा उपयोगी साबित हुआ है
पलक झपकते धनवान बना एक बंजारा
या सिंहासन पर बैठा कोई गड़ेरिया
असंख्य नौजवानों को राहत की नींद सुलाता रहा है
थोड़ा कम करता रहा है उनके खून का उबाल

उन नौजवानों ने आधा पेट भात से भरा
और आधा चमत्कार से
वे खुले आसमान के नीचे जमीन पर
चमत्कार बिछा कर सोए
वे जीवन के अंत-अंत तक बिलों और खोखलों में
झाँकते रहे कि
शायद कहीं मिल जाए उनमें पड़ी हुई एक मणि,
ऐसे ही ताकते-खोजते गुजर गईं उनकी कई पीढ़ियाँ
रंक से राजा बनने का चमत्कार कभी खत्म नहीं होगा
उन्हें समाप्त नहीं होने दिया जाएगा
उनमें भरे जाएँगे नए-नए रंग

करोड़ों भाग्यहीनों के बीच दो-चार भाग्यवान पैदा करना
जरूरी माना जाता है
ताकि बनी रहे व्यवस्था, चलता रहे बेरोकटोक कारोबार
कायम रहे धर्म में विश्वास।