तेरी गलियों की हवा की महक
अहसासों के बंद किवाड़ को धकेल
मेरी रूह के कानों में पायल बजा गई
और मैं सोचती ही रह गयी,
कि, मैं तेरी कौन लगती हूँ........
तेरी आवाज़ की सोंधी खुशबू
दिल के दरवाजे को धकेल
मेरी रूह को सराबोर कर गयी
और में सोचती ही रह गयी,
कि, मैं तेरी कौन लगती हूँ...