Last modified on 18 सितम्बर 2014, at 16:36

कौन समझा कि ज़िन्दगी क्या है / सलमान अख़्तर

कौन समझा कि ज़िन्दगी क्या है
रंज होता है क्यों, ख़ुशी क्या है

जिन के सीनों पे ज़ख्म रोशन हों
उनके रातों की तीरगी क्या है

लोग, किस्मत, खुदा, समाज, फ़लक
आगे इन सबके आदमी क्या है

हम बहुत दिन जियें हैं दुनिया में
हम से पूछो कि ख़ुदकुशी क्या है