कौन हूँ मैं
वह जो आसन पर बैठी
मेडिटेषन कर रही
या ट्रेडमिल पर वर्कहाउट
या जो सुन रही लता को गाते
कबीर के भजन
या वह जो
बिस्तर पर औंधी पड़ी
लिख रही कविता
या जो मुस्करा रही
इस सोच पर कि
आज द़तर नहीं जाना
बहाना बना
आँकना है मूर्त - अमूर्त कुछ
नये कैनवास पर
या वह जो
साथ - साथ देख, सुन भोग रहा
साक्षी बन सब