हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
क्याहै की तेरी चिलम तमाखू
क्याहै का नेचा जडिआ जी
माटी की मेरी चिलम तमाखू
रुपें नेचा जडिआ जी
जडिआ जडिआ लाल
बेढ़ा भाइआं नाल भरिआ जी
इन भाइयां में...........बैठ्या
मुख तै फुलड़े झड़ियां जी
झड़िआं झड़िआं लाल
बेढ़ा भाइआं नाल भरिआ जी