धूप दीप जला कर
नित्य करती हूँ प्रार्थना
माँगती हूँ
परिवार के लिये सुख, शांति, समृद्धि
कभी नहीं माँगती
भक्ति के लिए असीम शक्ति
बिन किए ही कर्म हाथ फैलाती हूँ
जबकि जानती हूँ
मुझमें और भिखारी में क्या अंतर है
वह भी माँगता है
हर गली, हर चौराहे पर करता है पुकार
दया कर देते हैं लोग
साथ मिलता है तिरस्कार।