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क्या कभी एक दिन ऐसा भी आएगा? / विनोद शर्मा

एक मैं हूं
एक तुम हो
मिल चुके हैं अब तक हम कईबार
मगर हर मुलाकात में
मैं मिलता हूं तुमसे
और तुम मिलती हो मुझसे-

प्यार की राह में आने वाली अड़चनों
के पुराने फिल्मी गीत गुनगुनाते हुए
वही वही बातें दोहराते हुए,
”प्यार एक मूल्य है“
इस सच का सामना करने से कतराते हुए

क्या कभी एक दिन ऐसा भी आएगा
जब किसी मुलाकात में
तुमसे मिलकर मैं मिलूंगा खुद से
और तुम मिलोगी खुद से
मिलकर मुझसे

जीवन के इस मोड़ पर
अहम और अपने साथी को
अपने से हेय समझने
की आदत से पीछा छुड़ा कर
हम दोनों एक हो जाएंगे
और इस युग का एक नया
गीत रचेंगे
और गुनगुनाएंगे।