ये करूँ वो भी करूँ ऐसा करूँ वैसा करूँ
हो गया सब कुछ मगर फिर भी लगे मैं क्या करूँ
जिंदगी भर जूझ कर जो रंक से राजा बना
उसकी आँखों में उदासी का सबब ढूंढा करूँ
क्या जरूरी है कि हर सम्बन्ध को इक नाम दूं
तू मुझे देखा करे और मै तुझे देखा करूँ
आँधियों के वेग से उद्दाम उठती धार पर
भाल बिंदी आँख काँधे डूब कर चूमा करूँ
एक दिन के वास्ते तू मान मेरी बन जा प्रिये
गोद में मुझको लिटा कर जाग, मैं सोया करूँ