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क्या करोगे / अज्ञेय

खोली को तो, चलो
सोने से मढ़ लो,
पर सुअर तो सुअर रहेगा-
उस का क्या करोगे?
या फिर उसे भी मार के
उस की (सोने की) प्रतिमा गढ़ लो :
सजा-सँवार के
बिठा दो अन्दर।
खोली? अरे, कन्दरा, गुफा-मन्दर!
पाँव पूजो औतार के!