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क्या पता कब कौन किस से यूँ जुदा हो जायेगा / रंजना वर्मा

क्या पता कब कौन किस से यूँ जुदा हो जायेगा
दो दिलों के बीच कितना फ़ासला हो जायेगा

दर्दे दिल भी खूब है बढ़ता ही जाता दिन ब दिन
था नहीं मालूम इक दिन खुद दवा हो जायेगा

लोग ले कर खुद कुल्हाड़े हैं चलाते पाँव पर
शौक उनका एक दिन उन से खफ़ा हो जायेगा

ख़ुदपरस्ती बढ़ रही है मतलबी सब हो रहे
इस तरह हर एक मौसम बेवफ़ा हो जायेगा

किसलिये जिंदादिली का घोंटते हो तुम गला
मिट गई ग़र हर हँसी कितना बुरा हो जायेगा

जल गया जो भी परायी आग में अपनी समझ
एक दिन दुनियाँ की नज़रों में खुदा हो जायेगा

हम कदम आगे बढ़ाएं एक कदम तुम भी चलो
सब बढ़ेंगे इस तरह तो सिलसिला हो जायेगा