क्या सोचे - समझें हम, क्या सुनें सुनाएँ
इंद्रप्रस्थ पर फहरी ध्वंस की ध्वजाएं 
धर्मराज की चौपड़ शकुनी के पासे
कौरव जयवंत, पांडु -पुत्र है उदासे 
ये कैसे मृत्यु -बीज लिप्सा ने बोए
राष्ट्र ने सुनी है धृतराष्ट्र की कथाएं 
पांचाली नीति फिरी केशो को खोले
जो बोले दुर्योधन की भाषा बोले 
किसने ये बीज -मंत्र बना दिए नारे 
किसने ये लिख दी है रक्त से ऋचायें 
संजीवित करने का दाय कौन लेगा 
यक्ष- प्रश्न का उत्तर कौन यहाँ देगा 
जाने कब, कहाँ मिले मंडप फूलों के
लाक्षाघर जा पहुँची अंध कंदरायें .