रौशनी की धरती पर
चलते हुए
अंधेरों से
पिघलने लगी
और
दर्द की बस्तियों
से दोस्ती कर
आँचल कागज़ के फूलों
से भरने लगी.
नफरत भरे दिलों
के अंगारों की
जलन से
बचने लगी
और
वर्षों से भरे
दिल के छालों को
न छेड़ दे कोई,
उन्हें
संजोने लगी.
समय के
थपेड़ों ने
सर
झुका दिया
और
लोगों ने
सोचा कि
प्रार्थना,
उपासना
करने लगी.