मैंने
एक जलता हुआ दीया
समन्दर की छाती पर रखा है
जानती हूँ
समन्दर हुआ तो क्या हुआ
दीये का भार भी नहीं
सह पायेगा।
इसकी लहरें दीये को डुबोयंेगी
लौ बुझेगी
समन्दर की अतल गहराइयों में
अंधेरा ही फैलेगा
मगर इससे दीये का
अस्तित्व नहीं जायेगा
वह समन्दर की छाती पर नहीं
उसके तल में होेगा ।