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क्यों / रजनी अनुरागी

तुम हो मेरे, मैं हूँ तुम्हारी
फिर भी नहीं कोई हिस्सेदारी
जीवन अजस्र बहती धारा
जिसमें ना कुछ मेरा
ना तुम्हारा