क्रमशः यों बीत गया जीवन पल छिन
कुछ भी तो किया नहीं, था तो अनगिन
बीते की स्मृति में धुन-धुन पछताए
अब तो कुछ कर डालो, बाक़ी है दिन ।
क्रमशः यों बीत गया जीवन पल छिन
कुछ भी तो किया नहीं, था तो अनगिन
बीते की स्मृति में धुन-धुन पछताए
अब तो कुछ कर डालो, बाक़ी है दिन ।