दुनिया के सबसे अमीर आदमी की
क्रय-शक्ति की भी
एक अधिकतम सीमा होती है
जिसके बाद कोई फ़र्क़ नहीं रह जाता
उसमें और मुझमें
एक सीमा के बाद वह नहीं खरीद सकता
एक समय का राशन तक
यह जानकर, मुझे पर्याप्त लगा
अपनी जेब में पड़ा सौ रुपए का नोट
दुनिया के सबसे अमीर आदमी की
क्रय-शक्ति की भी
एक अधिकतम सीमा होती है
जिसके बाद कोई फ़र्क़ नहीं रह जाता
उसमें और मुझमें
एक सीमा के बाद वह नहीं खरीद सकता
एक समय का राशन तक
यह जानकर, मुझे पर्याप्त लगा
अपनी जेब में पड़ा सौ रुपए का नोट