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क्रांति की मशाल / शीतल साहू

ले के हाथों में, क्रांति की मशाल
मिलाकर हम, क़दम और ताल
निडर और अडिग हमारी चाल
हमारी एकता, बेजोड़ और बेमिसाल
चले चल, चले चल, ओ साथी बढ़ता चल।

चाहे राहों में हो पड़े, पत्थर हजार
चाहे डगर में लगे हो कांटे हजार
चाहे मंज़िल दिखे, दूर और दुश्वार
ना अटक, ना भटक, ना हो लाचार
रख विश्वास अटूट और हिम्मत अपार
साध लक्ष्य पर निशान, रख एकता और प्यार
बढ़े चल, बढ़े चल, ओ साथी बढ़ता चल

लग रही पूरी क़ायनात ही, हम पर सवार है
एक तरफ़ है जिंदगी, दूजी ओर परिवार है
एक तरफ़ है मौत और दूजी ओर ज़िन्दगी दुश्वार है
अब और मज़बूत हम, संकल्प और कठोर है
मन की दृढ़ता बढ़ाकर, हम संघर्ष को तैयार है
मिलकर चले हम, हमारी एकता की रौद्र रौर है
उठे चल, बढ़े चल, ओ साथी बढ़ता चल।