तुम क्रान्ति के अग्रदूत हो
या सूत्रधार
आदमी को भीड़ में
तब्दील करते ही
सुरक्षित ऊँचाई पर आसीन
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विवश आक्रामक
एक दर्शक मात्र में
बदल जाओगे
क्योंकि अब
भीड़ उछालेगी पत्थर
और लहूलुहान भी
भीड़ ही होगी
( क्रान्तियों के संदर्भ में)