पकी फसल
लाट ले गए होते
खेतों से
आँखों के सामने
तो उतना दुख नहीं होता
जितना कि
कच्ची फसल
काटकर छोड़ गए
खेतों में रातों-रात
जाने क्यों
दस्युओं से भी
अधिक क्रोध आता है
तस्करों पर
पकी फसल
लाट ले गए होते
खेतों से
आँखों के सामने
तो उतना दुख नहीं होता
जितना कि
कच्ची फसल
काटकर छोड़ गए
खेतों में रातों-रात
जाने क्यों
दस्युओं से भी
अधिक क्रोध आता है
तस्करों पर