Last modified on 16 मई 2016, at 21:48

खण्ड-2/ मन्दोदरी / आभा पूर्वे

आय हमरोॅ पास
हजारो-हजार परिचारिका छै
मतरकि नै छै
तेॅ एक तोहें
आरो हमरोॅ बाबू
दानव कुलोदभव मय
जे आपनोॅ बुढ़ारियों में
हजार सैनिक के ताकत
असकल्ले राखै छैलै
हुनकोॅ हौ तेज छेलै।
आरो हमरोॅ तोरा पावै के कांक्षा ही छेलै
कि हुनी गेलोॅ छैलै
दानवेन्द्र मकराक्ष के सम्मुख
बस यही एकटा निवेदन लेलेॅ
कि छौड़ी दौ
रक्षधिय वैश्रवण रावण केॅ
कैन्हें कि हमरोॅ बेरी मंदोदरीं
मानी लेलेॅ छै मनेमन
हिनका आपनोॅ पति ।
मतरकि दानवेन्द्र मकराक्ष
कहाँ तैयार होलोॅ छेलै
ई वास्तें,
बस एतन्है हमरोॅ बाबू से
कहलेॅ छेलै,
‘‘रावण तेॅ हमरोॅ जल देवता लेली
बलि पशु छेकै
एकरोॅ आइये बलि पड़तै
देवता खुश होतै,
देवता खुश होतै तेॅ
हमरोॅ प्रजा खुश होतै,
हमरोॅ सुम्बा द्वीप खुश होतै
हम्में रावण केॅ नै छोड़ेॅ पारौं
बस पुरोहित के
आबै भर के देर छै ।’’

फेनू व्यंग्य सें
हमरोॅ बाबू दिश देखतें कहलेॅ छेलै
‘‘रुकी जा, दनुपुत्रा मय’
रक्षधि पति वैश्रवण रावण के पाविये केॅ जइयोॅ
बलिभाग पाविये केॅ जइयोॅ
आरोॅ साथ-साथ ई
दैत्यपुत्रा के बलि भागो
लेलेॅ जइयोॅ
मन्दोदरी केॅ दै दियौ
शायद देवता प्रसन्न होय जाय,
तेॅ रावणो से बढ़िया पति
प्राप्त होय जैतै ।
ऊ रक्षाधिप केॅ
आपनोॅ पति की बनैवोॅ
जे दानवेन्द्र मकराक्षण
के प्राण चाहेॅ;
दानव-वंश के घाती छेकै,
आरो ई सब जानतौ
दनुपुत्रा मय
तोहें राक्षस केॅ
आपनोॅ बेटी के स्वामी
बनाबै लेॅ चाहै छोॅ ।
धिक्कार छौं तोरा
तोहें दानव नै
राक्षस छोॅ राक्षस ।
आरो राक्षस लेॅ हमरो पास
एक दण्ड छै
जे ई वैश्रवण रावण केॅ
अभी-अभी मिलना छै ।’’

तबेॅ हमरोॅ बाबू
कुछ नै बोलेॅ पारलोॅ छेलै
कैन्हैं कि हुनको सामना में
हमरोॅ कठुवैलोॅ मुँह
घूमी गेलोॅ छेलै,
हुनी लौटी ऐलोॅ छेलै
आरो आपनोॅ ताकतोॅ पर
जौरोॅ करलेॅ छेलै
हजारो योद्धा केॅ
दानवेन्द्र के विरुद्ध
आरो बलिस्तूप के चारो दिस
हठासिये जुटी ऐलोॅ छेलै
काटी देलेॅ छेलै
हमरोॅ भावी पति के
सब बन्धन
कहाँ से आवी गेलोॅ छै
हौ ताकत ।
हमरोॅ बाबू के देहोॅ में !