उपेक्षाओं के
अनगिनत
थपेड़ों के बाद
गिरता है
जब कभी खंडहर से
कोई लेवड़
उसे
सुख लूटकर
जा चुके मुसाफिर
अक्सर
याद आ जाते हैं
उपेक्षाओं के
अनगिनत
थपेड़ों के बाद
गिरता है
जब कभी खंडहर से
कोई लेवड़
उसे
सुख लूटकर
जा चुके मुसाफिर
अक्सर
याद आ जाते हैं