यूँ कि च्युइंगम से लेकर
बोतल-बंद पेय सहित
तमाम सौंदर्य-प्रसाधन,
उपलब्ध हैं
स्ट्राबेरी, वैनिला
आम, अमरूद, केला और
न जाने कितने ही फ़लों के
स्वाद-गंध में

यूँ कि स्वादिष्ट फल
जब पहुँच से बाहर हों बाज़ार में,
फलों के स्वाद-गंध में
ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों का हस्तक्षेप है
बाजार से घर तक

श्रव्य से दृश्य के एक अद्भुत
तिलिस्म में, किसी जादूगर की
तर्जनी पर नाचते हुए, हम
यक़ीन कर लेते हैं कि हाँ,
ख़रीदेंगे जितना, बचाएँगे उतना ही

इशारे पर नाचती है आधी दुनिया
जब कुछ चालाक दीमक
दुनिया के चौथे खम्भे में
लगाते हैं सेंध,

मायावी है यह दुनिया
मायावी इसके शब्द
शब्दों की यह मायावी दुनिया कि जिसमें
एक ही जादू सबके सिर चढ़कर बोलता
एक ही ज़हर सबके कण्ठ से उतरता
एक ही भाषा सबकी ज़ुबान पर सजती
एक ही स्वप्न सबकी आँखों में चमकता

यूँ कि शब्दों के साथ
अर्थों के, कुछ नाजायज़ रिश्ते
बनते हैं इस दुनिया में,
बस्स्स...तीस सेकेण्ड...और
एक ख़तरनाक एका की शिकार
होती हैं वे तमाम आँखें, जिनमें
तैरते थे सपने,
अभी तीस सेकेण्ड पहले तक ।

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