खलल पड़ता है
चीख़ से सन्नाटे में
मशाल से अँधेरे में
न्याय से व्यस्था में
आईने से ख़ुशफ़हमी में
ख़िलाफ़ रुख़ से
हवा में ख़लल पड़ता है
सबके लिए
बेहतर जीवन के ख़याल से
उनके जीवन में
पड़ता है ख़लल
खलल पड़ता है
चीख़ से सन्नाटे में
मशाल से अँधेरे में
न्याय से व्यस्था में
आईने से ख़ुशफ़हमी में
ख़िलाफ़ रुख़ से
हवा में ख़लल पड़ता है
सबके लिए
बेहतर जीवन के ख़याल से
उनके जीवन में
पड़ता है ख़लल