खामोशी,
मुझे कचहरी-सी लगती है
जहाँ तफ़्तीश तर्क बहस
कभी-कभी निर्णय
और सज़ा भी निर्धारित होती है
यहाँ ख़ुद को
बाइज़्ज़त बरी नहीं किया जा सकता
खामोशी,
मुझे कचहरी-सी लगती है
जहाँ तफ़्तीश तर्क बहस
कभी-कभी निर्णय
और सज़ा भी निर्धारित होती है
यहाँ ख़ुद को
बाइज़्ज़त बरी नहीं किया जा सकता