चुप बैठी ख़ामोशी को
मैंने इक दिन धीमे से पूछा -
बता तू इतनी मौन क्यों रहती है ?
वह कुछ न बोली
बस सूनी आँखों से एकटक
मेरी ओर देखती रही …
मेरे हाथ अपने आप ही
उसके नमन को
जुड़ गए थे …
चुप बैठी ख़ामोशी को
मैंने इक दिन धीमे से पूछा -
बता तू इतनी मौन क्यों रहती है ?
वह कुछ न बोली
बस सूनी आँखों से एकटक
मेरी ओर देखती रही …
मेरे हाथ अपने आप ही
उसके नमन को
जुड़ गए थे …