जहाने-ताज़ा<ref>नये संसार</ref> की अफ़कारे-ताज़ा<ref>ताज़ा चिंतन</ref> से है नमूद
कि संगो-ख़िश्त<ref>ईंट-पत्थर</ref> से होते नहीं जहाँ पैदा
ख़ुदी में डूबने वालों के अज़्मो-हिम्मत<ref>हिम्मत और इरादे</ref> ने
इस आबे-जू<ref>नहर</ref>से किए बह्रे-बेकराँ<ref> असीम समुद्र</ref>पैदा
शब्दार्थ
<references/>