शीतकाल की
ठण्डक और बरबादी के बग़ैर
असम्भव है
वैभव और गरमाहट वसन्त की
बनाया दुर्घटनाओं ने
कड़ियल और सहनशील मुझे
फ़ौलाई बना दिया है
मेरे चित्त को
शीतकाल की
ठण्डक और बरबादी के बग़ैर
असम्भव है
वैभव और गरमाहट वसन्त की
बनाया दुर्घटनाओं ने
कड़ियल और सहनशील मुझे
फ़ौलाई बना दिया है
मेरे चित्त को