ख़ुश रखने की कोशिश मैने बहुत की लेकिन
ख़फ़ा हो जाते हैं लोग, कुछ बात ऐसी हो जाती।
भँवरा उदास है देखकर चमन का सूखा मंजर
बिगड़ता क्या बहारों का, अगर थोड़ा ठहर जाती।
कहते हैं दिल दुखाने को एक ही मुसीबत है काफ़ी
मगर यह भी तो कहते हैं, अकेले वह नहीं आती।
यक़ीनन दुश्वारियाँ बहुत हैं ज़माने की लेकिन
अगर कुछ मशविरे होते तो यह दुनिया संवर जाती।
मुश्किलें तमाम आती हैं, राह-ए-मंज़िल-ए-मक़सूद
मुश्किलें हैं तो मंज़िल है, वरना मंज़िल नहीं होती।