ख़ूबसूरत मोड़ पर
इनसान अकेला होता है
पिछले सारे रास्ते
उनके सारे क़िस्से
ख़त्म हो चुके होते हैं
सामने का रास्ता
कुछ कहता नहीं
ख़ूबसूरत मोड़ पर
संगी-साथी छूट जाते हैं
वे, वे नहीं रह जाते
मैं, मैं नहीं रह जाता
बेहद ख़तरनाक़ है
ख़ूबसूरत मोड़।