Last modified on 17 अक्टूबर 2017, at 00:57

ख़ूब तमाशा रे / ब्रजमोहन

ख़ूब हुआ जीवन का ख़ूब तमाशा रे
कुएँ का पानी ही है देखो प्यासा

जब तक है आँखों पर पट्टी जमूरे
तब तक हैं जीवन के सपने अधूरे
कब समझेगा रे मदारी की भाषा

मरे साँप और न मरे नेवला ही
ताली बजाकर के दे तू गवाही
यही खेल चलता रहे बारहमासा

हम भेड़ वो भेड़िए हैं रे भाई
ख़त्म कैसे होगी बता ये लड़ाई
अब फेंक रे उलटा तू उनका पासा