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ख़्वाब / फ़राज़


ख़्वाब<ref>स्वप्न</ref>

वो चाँद जो मेरा हमसफ़र<ref>सह-यात्री</ref>था
दूरी के उजाड़ जंगलों में
अब मेरी नज़र से छुप चुका है

इक उम्र से मैं मलूलो-तन्हा<ref>दुखित और अकेला</ref>
ज़ुल्मात<ref>अँधेरों </ref> की रहगुज़ार<ref>रास्ते</ref> में हूँ
मैं आगे बढ़ूँ कि लौट जाऊँ
क्या सोच के इन्तज़ार<ref>प्रतीक्षा</ref> में हूँ
कोई भी नहीं जो यह बताए
मैं कौन हूँ किस दयार<ref>दुनिया</ref> में हूँ
 

शब्दार्थ
<references/>