Last modified on 24 अक्टूबर 2013, at 12:45

खामोश / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

रंग भी खामोश और कैनवास भी
तो र खामोश पेंटिंग ही बनती है
मोनालिसा की खामोश मुस्कराहट
खूबसूरत है बहुत खूबसूरत
पर शब्द
न ख़ामोशी देख सकते
न ही पढ़ सकते ….
मुहब्बत भी खामोश और ज़िक्र भी
मुहब्बत सिर्फ ज़िन्दगी बनती है
न लिखत बनती है न बोल …
पोइट्री भी खामोश और पहचान भी
नज्में बहुत
पर किसी किसी के नज़र में ही
पोइट्री चमकती है