सवाल सिर्फ खिड़कियों का नहीं
उनके खुले रहने का है!
खिड़की होने भर से
खिड़की नहीं हो जाती,
काल-कोठरियों में भी होती हैं
बंद रखी जाने के लिए खिड़कियाँ!
दीवारें जनम से सबके साथ हैं
सख्त से सख्ततर होती हुई
खिड़कियाँ
दीवारों को भेद कर ही सम्भव हैं!
ताजी हवा फेफड़ों के लिए
और संसार
सपनों की सेहत के लिए
जरूरी है!