खिला है अग्निम प्रकाश
- संध्याकाश में;
कमलबन की तरह नयनाभिराम,
प्रवाल-पँखुरियों के सम्पुट खोले,
क्षण पर क्षण
- बिम्बित-प्रतिबिम्बित होता,
दिगम्बरी दिशाओं के दर्पण में ।
खिला है अग्निम प्रकाश
कमलबन की तरह नयनाभिराम,
प्रवाल-पँखुरियों के सम्पुट खोले,
क्षण पर क्षण
दिगम्बरी दिशाओं के दर्पण में ।