Last modified on 24 दिसम्बर 2015, at 22:29

खिल जाता चेहरा / कमलेश द्विवेदी

ये हँसता-मुस्काता चेहरा.
गजलों जैसा भाता चेहरा.

थोड़ा सा बिन्दास कभी तो,
थोड़ा सा शर्माता चेहरा.

हर गम इसकी ठोकर पर है,
गीत खुशी के गाता चेहरा.

दिल तो राज छुपाना चाहे,
लेकिन राज बताता चेहरा.

जो भी देखे इस चेहरे को,
उसका भी खिल जाता चेहरा.