Last modified on 18 अप्रैल 2017, at 10:01

खींच लाया यहाँ दरिया हमको / अमरेन्द्र

खींच लाया यहाँ दरिया हमको
अब तो लहरों का सहारा हमको

ये अंधेरा तो छोड़ देता है
छोड़ता है कहाँ साया हमको

ये जमाने पे फैसला छोड़ा
क्यों कहें उसने सताया हमको

रो तो लें पहले ही हम जी भर के
अपना ढोना है जनाजा हमको

हम तमाशा थे देखने आये
सब समझते हैं तमाशा हमको

इतने निखरे हुए हैं ऐसे नहीं
मुद्दतों दुख ने तराशा हमको

जिसको 'अमरेन्द्र' सभी कहते हैं
वो दिखा साफ आवारा हमको।