काँपती
सिरहती
थरथराती...........
ओस भींगी पंखुड़ियों को
धूप की पहली किरण ने
इस तरह से
छुआ
कि फूल के सारे दुख
सारी वेदनाएँ
खुशबू बनकर बह गईं.......
काँपती
सिरहती
थरथराती...........
ओस भींगी पंखुड़ियों को
धूप की पहली किरण ने
इस तरह से
छुआ
कि फूल के सारे दुख
सारी वेदनाएँ
खुशबू बनकर बह गईं.......