खुशबू की जंजीरें पहनी
फूलों के गहने
दौड़ गये भीतर ही भीतर
चंचल मृग छौने
अकस्मात नदिया की धारा
ठहरी हुई लगी
और तृप्ति की देह
अधर को भीगी रुई लगी
एक छुअन से बंधकर
खुद ही कातर लिए डैने
खुशबू की जंजीरें पहनी
फूलों के गहने
दौड़ गये भीतर ही भीतर
चंचल मृग छौने
अकस्मात नदिया की धारा
ठहरी हुई लगी
और तृप्ति की देह
अधर को भीगी रुई लगी
एक छुअन से बंधकर
खुद ही कातर लिए डैने