तुम खुश होती हो
मेरा गुरूर
टूटता देख कर
मुझे हारता देख
तुम्हें अकथनीय खुशी मिलती है...
मैं खुश होता हूँ
तुम्हें खुश देख कर
तुझे जीतता
देखने की इच्छा में
मैं
हर बार
हार जाता हूँ...।
तुम ने तो
तुमने तो हँसते-हँसते
पानी में
एक कँकर ही उछाला
लेकिन पानी की
लहरों के बीच का
अक्स पकड़ने के लिए
मैंने सारे का सारा
पानी खँगाल डाला
पानी कहीं कम
कहीं गहरा था
लेकिन हर बूँद के इर्द गिर्द
मटमैली स्मृतियों का पहरा था
कहीं यादों के
टिमटिमाते अक्स थे
कहीं मर चुकीं मोहब्बतों के
गुम हो रहे नक्श थे
मैंने पानी में से
अक्स पकड़ने की कोशिश की
मैंने यादों के
नक्श निहारने की कोशिश की
कभी इधर
कभी उधर भागते
मैंने बहुत पानी खँगाला
तुमने तो हँसते हँसते
पानी में
एक कंकर ही उछाला।