खुश रहने के लिए
ज़रूरी नहीं
किसी को सताओ
पटाओ या गंगा जी में नहाओ
खुशी के पल तो
अपने आस-पास ही बिखरे हैं
ज़रा पौधों में पानी दे दो
बैंक की ‘एंट्री’ करा आओ
बीमार पड़ोसी को देख आओ
और हो सके तो
पास वाले मंदिर में
पूजा कर आओ
किसी से मिलो तो
हाल चाल पूछ लो
ये नहीं कि
पतली गली से निकल जाओ
बिना पूछे
क्या आप खुश हैं
नहीं तो
क्यों खुश, क्यों नहीं
घंटा भर से खड़ा हूं
घर पहुंचना है
बस में भीड़ है
क्या तुम खुश हो ?
जी नहीं !
भाई का ऑपरेशन है ।
दो बोतल ख़ून देना है
शहर में अजनबी हूं
क्या तुम खुश हो
ऑटोवाले ने कहा -
अजी कहां का खुश
बहन दे यार !
(पुलिस कर्मी)
ह़ता लेंदे हैं, तब जा कर
गड्डी छोड़ते हैं !
क्या तुम खुश हो ?
पुलिस कर्मी से पूछा !
अजी कहां की खुशी
ऊपर तक देना पड़ता है
ऊपर से ‘मैडम’ की -
शॉपिंग भी
(मैडम माने डी.सी.पी. साहब की पत्नी)
क्या तुम खुश हो
अजी कहां कि खुशी
अध्यापिका ने कहा -
प्रिंसिपल जीने नहीं देती
दस हज़ार के वेतन स्लिप पर
साइन लेती है मगर
छह हजार ही देती है
क्या तुम खुश हो ?
‘काल गर्ल’ ने कहा -
सुबह से शाम तक खुशी को
ढूंढती हूं
लेकिन नहीं मिलती
पिछले दस साल से तलाश -
जारी है
यानी
समाज का हर तबका
हर वर्ग का आदमी
इसी अनुसंधान में है
कि खुशी
किस चिड़िया का नाम है ?
किसी की नज़र में
खुशी
पार्क में बैठ कर
हरकतें करने पर प्राप्त होती है
या बीयर की बोतल गटकने में
या बॉस की चुगली करने में
या
पड़ोसन को देख आहें भरने में
या किसी पार्टी में
तंबोला खेलने में
यानी सब लोग
अपने-अपने कर्त्तव्य में
लगे हैं धंसे हैं
फंसे हैं
आप बताइए !
आप कहां अटके हैं ?
वाटर लॉगिंग हो गई है
न !
क्या करें ?
भाई साहब !
ज़माना है
यह तो यूं ही चलेगा
सच कहते हो जी !