गोलगप्पे को
चटकारती हमारी
भारतीय महिलाएं
अत्यंत भीड़ भरे
बाजार में
खुद को खो देना चाहती है
घर के टंटे से दूर
रहना चाहती है
यानी फुर्सत के
दो-चार घंटे
जहां नहीं हो
चिल्ला पौं
पति महाषय की पुकार
ससुर की बार-बार
चाय की डिमांड
चतुर पत्नियां सब
जानती हैं
इसलिए निकल
जाती हैं
बाज़ार-हाट
ताकि तरोताज़ा हो सकें
ताज़ा दम हो सकंे
वल्लाह !
क्या बात है ?
क्या सोच है
इस सोच के आगे
भारतीय पुरुष समाज
बेबस है
और आप जनाब !
आप भी तो इसी समाज
का हिस्सा हैं ?