एक अकेला
ठूंठ खड़ा
खेजड़ा
निर्जन मरुथल में।
सूखें फोग
खींप
पर अटल तपस्वी-सा
अड़ा
खड़ा है
लिए आशाएं मन में-
गरजेंगे, बरसेंगे
घन
फूटेंगी कोंपलें
हर्षित होगा फिर से
जन-जन।
1990
एक अकेला
ठूंठ खड़ा
खेजड़ा
निर्जन मरुथल में।
सूखें फोग
खींप
पर अटल तपस्वी-सा
अड़ा
खड़ा है
लिए आशाएं मन में-
गरजेंगे, बरसेंगे
घन
फूटेंगी कोंपलें
हर्षित होगा फिर से
जन-जन।
1990