धोरां री धरती रो
कलप बिरछ खेजडा़े
झक मारै इणरै मुंडागै
चत्रण’र केवड़ो !
ऊभो पैरयां मींझर री
सोनल मुरक्यां
ओ बणराय रो डावड़ो
चालै बळती रो लूंआं
पड़ै किड़किडयां भींच’र
आकरो तावड़ो
लेवै इण री सरण
थाक्योड़ो बटाऊ,बापड़ा
सुसतावै कमतरिया
मेल’र तगारी’र फावड़ो
देख’र छायां चिंगर ज्यावै
सूरज नागड़ो
ओ कुण फिरै म्हारै आडो
बांध्या लीलो छिम पाघड़ो ?