औरत जानती है
कि खेल में हारेगी वही
कि खेल के सारे नियम
पुरुष के पक्ष में हैं
फिर भी खेलती है खेल
ये सोचकर कि देखें
खेलने में क्या मजा है
खेलकर ही उसे पत चलता है
खेलने में क्या मजा है ?
खेलने की क्या सज़ा है?
औरत जानती है
कि खेल में हारेगी वही
कि खेल के सारे नियम
पुरुष के पक्ष में हैं
फिर भी खेलती है खेल
ये सोचकर कि देखें
खेलने में क्या मजा है
खेलकर ही उसे पत चलता है
खेलने में क्या मजा है ?
खेलने की क्या सज़ा है?