Last modified on 8 अक्टूबर 2013, at 22:53

खोया पाने वालों ने / सैफ़ुद्दीन सैफ़

खोया पाने वालों ने
ग़म अपनाने वालों ने

छेड़ा फिर अफ़्साना-ए-दिल
दिल बहलाने वालों ने

किन राहों पे डाल दिया
राह दिखाने वालों ने

दिल का इक इक ज़ख़्म गिना
दिल बहलाने वालों ने

‘सैफ़’ तमाशा भी न किया
आग लगाने वालों ने