खोया पाने वालों ने
ग़म अपनाने वालों ने
छेड़ा फिर अफ़्साना-ए-दिल
दिल बहलाने वालों ने
किन राहों पे डाल दिया
राह दिखाने वालों ने
दिल का इक इक ज़ख़्म गिना
दिल बहलाने वालों ने
‘सैफ़’ तमाशा भी न किया
आग लगाने वालों ने
खोया पाने वालों ने
ग़म अपनाने वालों ने
छेड़ा फिर अफ़्साना-ए-दिल
दिल बहलाने वालों ने
किन राहों पे डाल दिया
राह दिखाने वालों ने
दिल का इक इक ज़ख़्म गिना
दिल बहलाने वालों ने
‘सैफ़’ तमाशा भी न किया
आग लगाने वालों ने