मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
खोलू ने केबार
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार
माँ के द्वार पर फूल नेने ठाढ़ छी...।
पूजन करब तोहार हे जननी, पूजन करब तोहार
माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी...।
आरती उतारब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार
माँ के द्वार पर माखन नेने ठाढ़ छी...।
भोग लगाएब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार...।