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ख्वाब तो देखे / प्रताप सोमवंशी

ख्वाब तो देखे परी की तरफ नही देखा
जिसको सब देखें उसी की तरफ नहीं देखा

वो जो आकाश से लौटा है अब कहां जाए
शख्स जिसने की जमीं की तरफ नहीं देखा

एड़ियों से रगड़ के हमने निकाला पानी
खुद कमाया है नदी की तरफ नहीं देखा

तुमको लगता है उदासी तुम्हारे साथ ही है
दोस्त मैने भी खुशी की तरफ नहीं देखा

देख तो उसकी नजर भी कमाल है साहेब
खूबियां देखी कमी की तरफ नहीं देखा