बुलायौ है जैसें मो पै करि कें कृपा महान
त्यों ही लोक लाजन के काज अनुसरियो
श्याम लता तेरी ब्रज बिपिन बिलासी बनी
ताके फल ऋद्धि-सिद्धि ही ते भौन भरियो
सिंचन तिहारौ है अकिंचन तरैया मातु
ऐसी दृग कोर द्रवि मेरी ओर ठरियो
'प्रीतम' पहार जन्म-जन्म के जुरे हैं जेते
तेते अरि अघन पछार, छार करियो