गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 21 जनवरी 2011, at 17:49
गए तुम भी / केदारनाथ अग्रवाल
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
केदारनाथ अग्रवाल
»
खुली आँखें खुले डैने
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
गए
तुम भी,
गए जैसे और-
सृजन के
सिरमौर।
शाम सोए,
रहे सोए;
नहीं
देखी भोर।
रचनाकाल: २३-०२-१९९०