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गगनचुम्बी / चन्दन सिंह

तुम उन्हीं लोगों में से रहे होगे, बन्धु !
जिनकी पसलियों की सीढ़ियाँ चढ़कर
कोई रोज़ आसमान को
अपने हिस्से में कर रहा है

अगली खेप ईंटें पहुँचाने से पहले
तुमने जल्दी-जल्दी बीड़ी टानी होगी यहाँ
पसीने की त्वचा के भीतर सुस्ताती तुम्हारी देह
अगली थकान के लिए तैयार हो रही होगी

तभी आई होगी ठेकेदार की डपटती हुई डाँट
कामचोर ...
तुमने जल्दी से उसकी डाँट पर ही रगड़कर
बुझाई होगी अपनी बीड़ी
और खोंस लिया होगा उसे कान पर
फिर तुम चल दिए होगे ईंटें लेकर ऊपर
धरती को आसमान से जोड़ने

पर बग़ैर तुम्हारे भविष्य में सुलगे
बग़ैर तुम्हारे कान में
विदा का एक भी शब्द फुसफुसाए
न जाने कैसे गिर पड़ी
तुम्हारी अधपीयी बीड़ी
जो अभी भी यहाँ पड़ी है
मेरी ओर ताकती
और मैं जानता हूँ
कि आधी बीड़ी पीने वाले तुम ही
पूरे पीये जाते हो